गायत्री मंत्र का सरल अर्थ

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

— गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता)

गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है – स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना। गायत्री देवी, वह जो पंचमुख़ी है, हमारी पांच इंद्रियों और प्राणों की देवी मानी जाती है ।

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है।

ॐ के उच्चारण में ही तीनो शक्तियों का समावेश हैं ।

हे माँ भगवती जिसने सभी शक्तियों का सर्जन किया ऐसी प्राणदायिनी, दुःख हरणी, सुख करणी, समस्त रोगों का निवारण करने वाली, प्रज्ञावान माँ भगवती जो सभी देवों की देवी हैं उसकी में उपासना करती हूँ जिसने मुझे संरक्षण दिया और सभी प्रकार के ज्ञान से समृद्ध बनाया।

अर्थ: हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× 9 = 81