राधे राधे आजका भगवत चिन्तन

हरदम मन प्रसन्न कैसे रहें ?

आज का भगवद चिन्तन, भगवद चिन्तन, भगवत चिन्तन,आज का भगवत चिन्तन,राधे राधे,Aaj Ka Bhagwat Chintan,Aaj Ka Bhagwad Chintan,bhagvat katha, bhagvad katha,bhagvad gita,bhagvat geeta,

“हरदम मन प्रसन्न कैसे रहें ?
कभी अशान्ति हलचल,न होने का अचूक उपाय”

‘मनः प्रसादः’ मन की प्रसन्नता मनः प्रसादः कहते हैं। वस्तु, व्यक्ति, देश,काल, परिस्थिति घटना आदि के संयोग से पैदा होने वाली प्रसन्नता स्थायी रूप से हरदम नहीं रह सकती; क्योंकि जिसकी उत्पत्ति होती है, वह वस्तु स्थायी रहनेवाली नहीं होती।

परन्तु दुर्गुण – दुराचारों से सम्बन्ध विच्छेद होनेपर जो स्थायी तथा स्वाभाविक प्रसन्नता प्रकट होती है, वह हरदम रहती है और वही प्रसन्नता मन, बुद्धि आदि में आती है, जिससे मन में कभी अशान्ति होती ही नहीं अर्थात् मन हरदम प्रसन्न रहता है।

मन में अशान्ति हलचल आदि कब होते हैं ? जब मनुष्य धन सम्पत्ति, स्त्री पुत्र आदि नाशवान् चीजोंका सहारा उसने ले रखा है वे सब चीजें आने जाने वाली है, स्थायी रहनेवाली नहीं है।

अतः उनके संयोग वियोग से उसके मन में हलचल आदि होती है। यदि साधक न रहनेवाली चीजोंका सहारा छोड़कर नित्य निरन्तर रहने वाले प्रभू का सहारा ले ले, तो फिर पदार्थ व्यक्ति आदि के संयोग वियोग को लेकर उसके मन में कभी अशान्ति हलचल नहीं होगी।

आज का भगवद चिन्तन, भगवद चिन्तन, भगवत चिन्तन,आज का भगवत चिन्तन,राधे राधे,Aaj Ka Bhagwat Chintan,Aaj Ka Bhagwad Chintan,bhagvat katha, bhagvad katha,bhagvad gita,bhagvat geeta,

जय जय श्री राम

आज का भगवद चिन्तन, भगवद चिन्तन, भगवत चिन्तन,आज का भगवत चिन्तन,राधे राधे,Aaj Ka Bhagwat Chintan,Aaj Ka Bhagwad Chintan,bhagvat katha, bhagvad katha,bhagvad gita,bhagvat geeta,

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 × 1 =