राधे राधे आजका भगवत चिन्तन
संयमपूर्वक जीवन जीना सुखदायक होता है।
संसार की घटनाएं यह बताती हैं, कि जो लोग अपने मन वाणी आदि इंद्रियों तथा आचार विचार व्यवहार आदि पर संयम रखते हैं/ नियंत्रण रखते हैं, वे सुखी रहते हैं। और जो इन चीजों पर संयम या नियंत्रण नहीं रखते, वे सदा दुखी रहते हैं। अपनी शक्ति सामर्थ्य को ध्यान में रखकर सब कार्य करने चाहिएँ।
उदाहरण के लिए — जिनके पास धन संपत्ति अधिक मात्रा में है, वे लोग अपनी क्षमता के अनुसार कुछ अधिक मात्रा में भी धन खर्च कर सकते हैं। परंतु जिनके पास धन की कमी हो, ऐसे लोगों को अपने खर्च पर नियंत्रण रखना चाहिए। यदि वे अपने खर्च पर नियंत्रण नहीं करते, अर्थात् *”आय कम, और खर्च अधिक,” तो ऐसे लोग सदा ऋणी बने रहेंगे, कर्जे में डूबे रहेंगे, और सदा दुखी रहेंगे।
इसी प्रकार से कुछ लोगों में अच्छा ऊंचा ज्ञान होता है। वे परोपकार की भावना से ऐसा चाहते हैं कि “हमारे ज्ञान का लाभ दूसरों को भी मिले।” इस भावना से वे दूसरों को लाभान्वित करते रहते हैं। वे दूसरों को ज्ञान विज्ञान बाँटते रहते हैं। उनके लिए ऐसा करना उचित है, लाभकारी है।
परंतु जिनका ज्ञान कम हो, अप्रामाणिक हो, उन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। भावनाओं के प्रवाह में बह जाना, उन पर नियंत्रण न करना, हानिकारक एवं दुखदायक है। तो जिनका ज्ञान कम हो, वे अपने शब्दों पर नियंत्रण रखें।
ऐसे लोग, चाहे जिसको, चाहे जब, चाहे जो, सलाह न दें। ऐसा करने से उन्हें हानि होगी। और बुद्धिमान लोग उनकी खिल्ली उड़ाएंगे। बाद में फिर वे अपना अपमान होता देखकर दुखी होंगे।
जय जय श्री राम
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