राधे राधे आजका भगवत चिन्तन
संसार में सभी जीव पात्र और अधिकारी हैं।

संसार में सभी जीव पात्र और अधिकारी हैं। परमात्मा के अंश होने के कारण अयोग्य तो कोई है ही नहीं। लेकिन पात्र की भी तो समय-समय पर सफाई आवश्यक है।
कुछ ने अपने पात्र को इतना गंदा कर लिया है अमृत भी डालोगे तो विष हो जायेगा।
मनुष्य ने कंकड- पत्थर इतने भर रखे हैं कि हीरे जवाहरात प्रवेश ही नही कर पा रहे। कंकड़ – पत्थरों को वाहर फेंको। हम सब पात्र तो है पर गंदे पात्र हैं।
जन्म- जन्म से पात्र में कुविचारों की , वासना की , गलत कर्मों की गंदगी लिए बैठे हैं। उसे उलीचो बस, साफ़ करो।
कथा और संत आश्रय से व नाम सुमिरन से मन को रोज साफ़ करते रहो, ताकि गंदगी मजबूत ना हो।
आत्म-कल्याण और सत्य की प्राप्ति हेतु एक ही शर्त है बस, निष्कपट, निर्दोष, निर्वैर, निष्कलंक, सहज और सर्व हिताय का चिन्तन रखना। तुम्हारा पात्र साफ़ हुआ कि परमात्मा स्वयं आ जायेंगे।
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री राम
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