राधे राधे आजका भगवत चिन्तन
माया को माया पति की और मोड़ दो
श्रीमदभगवद गीता में भगवान् श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि मेरी बनाई हुई यह माया बड़ी दुस्तर है। इससे बड़े- बड़े ज्ञानी भी मुक्त नहीं हो पाते। लेकिन जो मेरा निरन्तर भजन, सुमिरण करते हैं वो मेरी कृपा से इससे मुक्त हो जाते हैं।
अन्यान्य मार्गों में और भक्ति मार्ग में यही अंतर है। अन्य मार्गी हर वस्तु को छोड़ कर मुक्त होता है। भक्त उस वस्तु को परमात्मा को अर्पित करके मुक्त होता है।
माया को माया पति की और मोड़ दो तो माया प्रभाव ना डाल पायेगी। लक्ष्मी तब तक ही बांधती है जब तक वह अपनी देह के सुखों की पूर्ति में ही खर्च होती है।
लक्ष्मी को नारायण की सेवा में लगाना शुरू कर दो तो वह पवित्र तो होगी ही तुम्हें प्रभु के समीप और ले आएगी।
याद रखना, माया को छोड़कर कोई मुक्त नहीं हुआ अपितु जिसने प्रभु की तरफ माया को मोड़ दिया वही मुक्त हुआ। इन्द्रियों को तोडना नहीं मोड़ना है। इन्द्रियों का साफल्य विषयों में नहीं वासुदेव में है।
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री राम
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