दूसरों के प्रति अच्छे नहीं सच्चे बनें
हमसे आर्थिक मदद की उम्मीद करते है
जीवन में ऐसा सभी के साथ होता है कि हमारे नजदीकी मित्रों, रिश्तेदारों या परिचितों को किसी खास मौके पर पैसों की जरूरत होती है और वे हमसे आर्थिक मदद की उम्मीद करते हैं।
उस वक्त हमारे पास उनकी मदद करने की क्षमता नहीं होती लेकिन हम उन्हें स्पष्ट मना नहीं कर पाते हैं।
हम उन्हें कहते हैं, ‘मैं एक-दो दिन में जवाब देता हूं।” जिस क्षण हमसे पूछा जाता है कि क्या हम उनकी मदद कर पाएंगे उसी क्षण हमें अपनी स्थिति के बारे में पता होता है लेकिन हमने अपने प्रियजनों को अंधेरे और उजाले के बीच छोड़ देते हैं।
अगली बार जब वे संपर्क करते हैं तो हम बचने की कोशिश करने लगते हैं।
कई बार बहाने बनाने लगते हैं। इस तरह हम खुद के लिए अनावश्यक तनाव पैदा करते हैं और दूसरे को भी झूठा भरोसा दिलाते हैं।
इस पूरी दुविधा की वजह यही है कि हम दूसरों की नजर में अच्छे बने रहना चाहते हैं।
दूसरों की नजर में अच्छे बने रहने के कारण हम सच नहीं बोलते और अपने लिए मुश्किल स्थितियां पैदा कर लेते हैं।
अच्छा बने रहने के कारण ही कुछ लोग दफ्तरों में अपने तय काम से ज्यादा काम करते रहते हैं और तनावपूर्ण जीवन जीते हैं।
अपने रवैये को स्पष्ट रखें
जीवन में अगर हमारी पहली कोशिश अच्छा बने रहने के बजाय सच कहने की होगी तो हमें जीवन में मुश्किल स्थितियों का सामना नहीं करना होगा। तब हमें अनावश्यक तनाव और अप्रिय स्थितियों से नहीं जूझना पड़ेगा।
तब किसी से मुंह नहीं चुराना होगा और कोई बहाना भी नहीं बनाना होगा।
अगर किसी व्यक्ति का काम आप समय पर नहीं कर सकते हैं तो उसे स्पष्ट रूप से ‘ना” कह देना ही आपके लिए बेहतर है।
जीवन में सभी चाहते हैं कि वे अपने तमाम संबंधों में अच्छे बने रहें और इसलिए कई बार वे सच नहीं बोलते हैं। लेकिन आज सच के पक्ष में नहीं खड़ा होने के कारण हम अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
भले ही हमारे निकटस्थ लोगों को हमारी बात अप्रिय और कडवी लगे लेकिन यथास्थिति में बने रहना हमारी पहली शर्त हो। जीवन में जो लोग बहुत मधुर व्यवहार करते हैं उनसे बहुत सावधान होने की सलाह के पीछे भी यही वजह है कि उनके मन का सच हमारे सामने कभी उजागर नहीं हो पाता है।
यह बड़ी विसंगति है कि हम उन्हीं लोगों से प्रसन्ना रहते हैं तो हमारे साथ मधुर व्यवहार करते हैं, जो स्पष्ट संवाद करते हैं वे लोग हमें नहीं सुहाते। हमें अच्छे नहीं सच्चे लोगों की पहचान करना सीखना चाहिए।
वे लोग जो थोड़ा कड़वा बोलते हैं उनकी कही बात में और व्यवहार में दोहराव नहीं होता है। वे दुहरा चरित्र नहीं जीते और ज्यादा भले इंसान होते हैं।
हमारी कोशिश दूसरों को भली लगने वाली बातें करके अपनी अच्छी छवि गढ़ने की नहीं होना चाहिए बल्कि हमें तो वही कहना चाहिए जो सच है।
हमें यह निर्णय सामने वाले पर छोड़ देना चाहिए कि वह हमारी सीधी-सच्ची बात को ठीक समझता है या नहीं।
जब हम इस तरह के व्यवहार को जिएंगे तो हमारे मन में किसी भी तरह की दुविधा और बोझ नहीं होगा।
कई बार दो व्यक्ति किसी रिश्ते में एक अंत तक पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में जहां वे एकदूसरे के साथ आनंदित नहीं होते, उनके बीच अच्छे पल नहीं बीतते लेकिन वे एकदूसरे के प्रति खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं करते क्योंकि उन्हें अपनी छवि की चिंता होती है।
ऐसे में कोई भी रिश्ता लंबे समय तक चलता रहे तो उसमें भीतर ही भीतर विस्फोटक स्थिति बनती रहती है। जो लोग इस तरह की स्थितियों में होते हैं वे खीझ,
पीड़ा और तनाव झेलते रहते हैं। जब रिश्तों में सच नहीं रहता तो आपसी बहस और रोष की स्थिति बनती है। रिश्ते बोझ बन जाते हैं और उन्हें झेलना या उनमें बने रहना आपकी बहुत-सी ऊर्जा सोख लेता है। ऐसे में जरूरी है कि हम छवि की चिंता करे बिना सच कहें।
सच कहने का साहस करें
यह बहुत मुश्किल स्थिति होती है कि आप दूसरे का दिल तोड़ने वाला सच कहें लेकिन अगर आप किसी के साथ का आनंद नहीं उठा रहे हैं तो आपको हिम्मत के साथ सच कहना चाहिए।
इस बात को स्वीकारना चाहिए कि आप संबंधों में तनाव से गुजर रहे हैं और इसकी जवाबदारी उठाते हुए साहस करके सच कहना चाहिए।
अगर आप आज अपने संबंधों में सच नहीं कहते हैं तो आपको कुछ समय बाद इस सच को स्वीकारना होगा और तब स्थिति ज्यादा खराब हो चुकी होगी।
जो दिल में वही हो जुबां पर
अगर आप अपने मन की बात कहने में संकोच या झिझक महसूस कर रहे हैं तो उसे लिख लें। खुद को तैयार करें कि आप अपने शब्दों के साथ बने रहेंगे।
स्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो आप सत्य के पक्ष में ही रहेंगे। यकीन मानिए जब आपके दिमाग और कहे जा रहे शब्दों में दुविधा नहीं होगी तो आप सच कह पाएंगे।
आप सच्चे दिल से जो भी कहते हैं उसके लिए आपको माफी मांगने की भी कोई जरूरत नहीं है। अगर आपने कोई गलती की है तो उसे भी मुक्त भाव से स्वीकार करें। स्पष्टवादी बनें, बहानों में न जिएं।
चीजों को लंबे समय न खीचें
अगर आप किसी अप्रिय स्थिति से भाग रहे हैं या उससे बचने की कोशिश कर रहे हैं तो सामना करें क्योंकि आज आप उस स्थिति से भले ही बच जाएं वह लौटकर आएगी और तब आपको सच कहने में ज्यादा परेशानी होगी।
किसी भी काम को लंबे समय तक टालते रहने के बाद मना करने के बजाय पहली बार में ही उससे इनकार कर देना ज्यादा बेहतर है। इस तरह आप अपने लिए ज्यादा सहजता की स्थिति बना सकेंगे।
दूसरों को मना न कर पाने के कारण चीजों को ओढ़े रखना और अंतत: अपने प्रयासों में असफल साबित होने से बेहतर है कि आज ही सच को स्वीकारें।