श्रीराम और हनुमान
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
इस चौपाई में प्रभु श्रीराम हनुमानजी की बड़ाई कर रहे है और कह रहें है कि तुम मेरे लिए भाई भरत के जैसे प्रिय हो।
प्रभु श्रीराम को जितने प्रिय लक्ष्मण थे उतने ही प्रिय भाई भरत भी थे। रामायण में तीन भाईयो की कहानी भी है।
अयोध्या में श्रीराम और भरत है, तो किष्किन्धा में सुग्रीव और बाली है और वहीं लंका में कुबेर और रावण है।
सुग्रीव और बाली में झगड़ा राज्य को लेकर हुआ, कुबेर और रावण में झगड़ा अधिकार को लेकर हुआ लेकिन भरत ने राज्य पाकर भी उसे अपनाया नहीं।
उन्होंने हमेशा उसे श्रीराम का ही माना इसीलिए उनकी पादुकाएं सिहांसन पर रखी, इस तरह भरत ने रघुकुल पर कलंक नहीं लगने दिया कि एक भाई ने दूसरे भाई का राज्य हथिया लिया, क्योंकि भरत आत्मज्ञानी थे इसलिए श्रीराम को जितने प्रिय लक्ष्मण थे उतने ही प्रिय भरत भी थे।