समस्त ब्रह्मक्षत्रिय समाज
जिसका मन वश में नहीं है वही तो वेवश है
कथा और नाम जप से हृदय विकार मुक्त होता है।
माया को माया पति की और मोड़ दो
मन लगाना है तो प्रभु में ही लगाना
संसार में सभी जीव पात्र और अधिकारी हैं।
प्रकृति अपने नियम से कभी नहीं चूकती।
श्री कृष्ण बड़े कृपालु हैं।
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